सामान्य रूप से आर्थिक मामलों में आर्थिक संघर्ष देशों के बीच दर होता है। विश्व की कई देशों ने अपने महत्वपूर्ण उत्पादों की रक्षा के लिए विभिन्न देशों के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए। इस समस्या को अवश्य देखते हुए, सामान्य रूप से टीटीपी (जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड) सार्वजनिक हुआ है।
टीटीपी एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विश्व व्यापार में नियंत्रण एवं सुधार के लिए बनाई गई है। इस संस्था की स्थापना 1947 में की गई थी, जब अमेरिका के एक ऐसे प्रतिनिधि का आविष्कार हुआ था, जो नए उत्पादों के निर्यात में रुकावटों को हटाने के लिए एक खास संगठन की जरूरत महसूस कर रहा था।
टीटीपी का मुख्य उद्देश्य विश्व व्यापार को सभी देशों के लिए निष्पक्ष बनाना है। इसके लिए टीटीपी के सदस्य देशों के बीच तरह-तरह की समझौतों की गई हैं। ये समझौते उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन से जुड़े मामलों पर नियंत्रण एवं सुधार करते हुए विश्व व्यापार के निर्देशक होते हैं।
वर्तमान में टीटीपी के 164 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। टीटीपी के द्वारा संबंधित देशों के बीच टैरिफ एवं विभिन्न विपणन विषयों पर समझौते किए जाते हैं। इसके लिए टीटीपी के सभी सदस्य देशों के बीच कई राउंड आयोजित कराए गए हैं। आखिरी राउंड गत शताब्दी की दशक के दौरान आयोजित हुआ था।
टीटीपी से भारत को बड़ा लाभ हुआ है। यह संस्था भारत की विदेशी व्यापार नीति को मजबूत करती है और देश को विश्व व्यापार में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका देती है।
टीटीपी का महत्वपूर्ण उद्देश्य विश्व व्यापार को सभी देशों के लिए निष्पक्ष बनाना है। इसके लिए इस संस्था के द्वारा संबंधित देशों के बीच टैरिफ एवं विपणन विषयों पर समझौते किए जाते हैं।
अंत में, टीटीपी विश्व व्यापार और अर्थव्यवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टीटीपी के सदस्य देश संबंधित विषयों पर समझौते करते हुए अपने व्यापार को सुधार सकते हैं और एक नए और उत्कृष्ट संबंध तैयार कर सकते हैं।